हरिद्वार
हरिद्वार - एक पवित्र धाम
हरिद्वार शहर को मायापुरी, कपिला, मोक्षद्वार एवं गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर का उल्लेख कई प्राचीन हिंदू महाकाव्यों में मिलता है। इस शहर का इतिहास राजा विक्रमादित्य के समय से मौजूद है। यह स्थल अपने विश्व प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्रों एवं पर्यटक आकर्षणों के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित अधिकतर धार्मिक स्थल पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित हैं।
हरिद्वार के आस पास के स्थान
यहाँ का सबसे महत्वपूर्ण एवं पवित्र स्थल हर-की-पौड़ी है, जिसे ब्रम्हकुंड के नाम से भी जाना जाता है। यह वह स्थान है जहाँ गंगा नदी पहाड़ों को छोड़कर मैदानों में प्रवेश करती है। यहाँ नदी के घाटों पर कई पदचिन्ह है, जो ऐसा माना जाता है कि हिंदू भगवान् विष्णु जी के हैं। कई भक्त यहाँ विभिन्न प्रथाओं जैसे कि ‘मुंडन’ (सिर की हजामत) और ‘अस्थि विसर्जन’ (मृत व्यक्ति की अस्थियों को नदी में प्रवाहित करना) को पूरा करने के लिए आते है। प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात् यहाँ ‘कुंभ मेला’ आयोजित किया जाता है। संपूर्ण विश्व से भक्त इस भव्य धार्मिक उत्सव में भाग लेने के लिए यहाँ आते हैं।यहाँ के कई अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में माया देवी, मनसा देवी एवं चंडी देवी के मंदिर सम्मिलित हैं। इन तीन मंदिरों की गणना भारत में मौजूद 52 शक्तीपीठों में की जाती है। शक्तिपीठ पूजा के वे स्थल हैं जो हिंदू देवी सती या शक्ति को समर्पित हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती ने अपने पिता द्वारा अपने पति भगवान् शिव का अपमान किये जाने पर जीवन का बलिदान दिया था। सती की मृत्यु से भगवान् शिव इतने दुखी हुए कि उन्होंने देवी के शरीर को कैलाश पर्वत पर ले जाने का निश्चय किया। ऐसा करते समय देवी के शरीर के हिस्से अलग अलग स्थानों पर गिरे। ऐसा माना जाता है कि माया देवी का मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां देवी की नाभि एवं ह्रदय गिरा।
वैष्णों देवी मंदिर, भारत माता मंदिर, एवं पिरान कलिएर कुछ अन्य धार्मिक स्थल हैं। कई लोग इस बात को नहीं जानते कि हरिद्वार का वैष्णों देवी मंदिर एक नवनिर्मित पवित्र स्थल है जो जम्मू के प्रसिद्ध वैष्णों देवी मंदिर की प्रतिकृति है। मंदिर तक पहुँचने का रास्ता सुरंगों एवं गुफाओं से भरा हुआ है जैसा कि जम्मू में वैष्णों देवी मंदिर तक पहुँचने का रास्ता है।
भारत माता मंदिर, भारत माता को समर्पित है और हरिद्वार में एक मुख्य पर्यटक आकर्षण है। इस मंदिर का निर्माण महान धार्मिक गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में आठ मंजिलें है जिसमें से प्रत्येक मंजिल कई हिंदू देवी देवताओं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित है। यात्री इस मंदिर में कई महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे कि महात्मा गांधी, वीर सावरकर एवं सुभाषचंद्र बोस इत्यादि की मूर्तियाँ देख सकते हैं। इन मंदिरों के अलावा सप्त ऋषी आश्रम, श्रवणनाथजी का मंदिर चिल्ला वन्यजीव अभयारण्य, दक्ष महादेव मंदिर, एवं गौ घाट इत्यादि भी पर्यटकों को बड़ी संख्या में आकर्षित करते हैं।
सप्त ऋषी आश्रम अपने महान धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। हिंदू पुराणों के अनुसार इस आश्रम का निर्माण उस स्थान पर किया गया है जहाँ सप्त ऋषी या सात महान साधुओं, अत्री, कश्यप, जमदग्नी, भारद्वाज, वशिष्ठ, विश्वामित्र, एवं गौतम ऋषी ने साधना किया करते थे।
हरिद्वार में रहते हुए पर्यटक कई विभिन्न त्योहारों जैसे कि रामनवमी, बुद्ध पूर्णिमा, कांवड़ मेला, एवं दीवाली में भी भाग ले सकते हैं। कांवड़ मेला प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है और इस दौरान हरिद्वार में लगभग तीन करोड़ लोग आते हैं।
प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के अलावा यह स्थल औद्योगिक दृष्टि से भी विकसित है। यहाँ भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स इंडिया मौजूद है। यह वह स्थान भी है जहाँ भारत का पहला तकनीकी संस्थान रूड़की विश्वविद्यालय या आईआईटी रूड़की स्थापित किया गया था।
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