औली
औली - आइये और स्कीइंग का लुत्फ़ लीजिये
औली के आस पास की जगह
औली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, नंदप्रयाग, अलकनंदा और नंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है। हिंदू धर्म के लोगो के लिए इस संगम में डुबकी लगाना धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। केदारनाथ ओर बद्रीनाथ के लिए यह प्रवेश द्वार है जहाँ से यात्री बर्फ से ढके पहाड़ों के सुंदर नज़ारों का आनंद ले सकते हैं।यह जगह सरकार द्वारा बनाई गई कृत्रिम औली झील के लिए प्रसिद्ध है जो विशेष रूप से कम बर्फबारी के महीनों में नई स्की ढलानों पर कृत्रिम बर्फ उपलब्ध कराने के लिए उपयोग की जाती है। यहाँ आने पर पर्यटक भविष्य बद्री भी देख सकते हैं जो समुद्रतल से 2744मी. की ऊँचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ, योगध्यानबद्री, आदिबद्री तथा वृद्धबद्री के बाद पाँच बद्री तीर्थों में से एक होने के कारण इस जगह का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
’गुरसो बुग्याल’ एक खूबसूरत जगह है जो गर्मियों में बहुत हरीभरी रहती है। यह जगह कोनिफर और ओक के हरेभरे जंगलों से घिरी हुई है। जोशीमठ से रज्जुमार्ग के द्वारा पर्यटक यहाँ पहुँच सकते हैं। गुरसो बुग्याल के पास ’छत्तरकुंड झील’ नामक ऐ छोटा सा जलाशय है। औली के पास स्थित छोटे से गाँव ’सैलधर तपोवन’ में यात्री एक प्राकृतिक झरना और एक मंदिर भी देख सकते हैं।
औली की बर्फीली ढलानों पर स्कींइग का भरपूर मज़ा लिया जा सकता है। अल्पाइन स्कीइंग, नार्डिक स्कीइंग तथा टेलीमार्क स्कीइंग का आनंद लेने के लिए ये ढलानें बेहतरीन हैं। एशिया की सबसे लंबी केबल कार औली में है जो 4कि.मी. की दूरी तय करती है। केबल कार को गोंडोला कहते हैं जिसमें चेअर लिफ्ट और स्की लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है। स्नो पैकिंग मशीन और स्नो बीटर की सहायता से इन ढलानों को नियमित रूप से समतल किया जाता है।
हिमालय क्षेत्र में औली ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ जोशीमठ ट्रैकिंग रूट बहुत लोकप्रिय है। इस क्षेत्र के विभिन्न रास्तों पर ट्रैकिंग करते हुए कामेत, नंदादेवी, मान पर्वत तथा दुनागिरी पर्वत देखे जा सकते हैं।
समुद्रतल से 7160मी. ऊपर स्थित त्रिशूल पर्वत औली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इस पर्वत का नाम भगवान शिव के त्रिशूल से लिया गया है। यह एक लोकप्रिय स्कीइंग स्थल है और साथ ही भारत-तिब्बती सीमा पुलिस बल के जवानों के लिए ट्रेनिंग का मैदान भी है। इस पर्वत की तलहटी पर पर्यटक रूपकुंड झील भी देख सकते हैं।
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