देवप्रयाग - जहां दिव्य धाराएं बहती हैं

समुन्दरी तट से 2723 मीटर की ऊँचाई पर स्थित देवप्रयाग, उत्तराखण्ड के टिहरी गढवाल जिले का प्रमुख धार्मिक स्थान है। “अलकनंदा” और “भागीरथी” नदियों के संगम पर स्थित, इस शहर को संस्कृत में “पवित्र संगम” के नाम से संबोधित किया गया है। 7 वीं सदी में देवप्रयाग ब्रह्मपुरी, ब्रह्म तीर्थ और श्रीखण्ड नगर जैसे कई अलग अलग नामों से जाना जाता था। “उत्तराखण्ड के रत्न” के रूप में जाना जाता यह शहर प्रसिद्ध हिंदू संत देव शर्मा के नाम पर अंकित है।
देवप्रयाग तस्वीरें
Image source: www.wikipedia.org
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किंवदंती है कि, भगवान राम और उनके पिता, राजा दशरथ ने यहाँ घोर तपस्या की थी। यह भी कहा जाता है कि, हिंदू महाकाव्य महाभारत के पौराणिक पात्र पांडवों ने बद्रीनाथ जाने से पहले यहाँ प्रक्षालन किया था।

क्या है देवप्रयाग के आस पास

भारत के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग पाँचवें स्थान पर है। पवित्र नदियों के संगम के किनारे बसे इस देवप्रयाग के अलावा विष्णु प्रयाग, रुद्र प्रयाग, नंद प्रयाग और कर्ण प्रयाग भारत के अन्य चार प्रयाग हैं। साथ ही, देवप्रयाग अपने कई प्राचीन मंदिर जैसे रघुनाथ मंदिर, चंद्रवदनी मंदिर और दशरथशिला मंदिर के लिए भी जाना जाता है। अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर बने पुल, इसे एक प्रमुख स्थान बनाते हैं।

देवप्रयाग कैसे जाएं

देवप्रयाग के लिए राजमार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग की सेवा उपलब्ध है। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देवप्रयाग का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जहाँ से नई दिल्ली के लिए नियमित उडानों की सेवा उपलब्ध है। देवप्रयाग से 94 कि.मी दूर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देवप्रयाग का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह कई प्रमुख शहर जैसे लखनऊ, मुंबई, नई दिल्ली और देहरादून से ट्रेनों द्वारा जुडा हुआ है।

देवप्रयाग का मौसम

देवप्रयाग का सब्ट्रापिकल वातावरण होने के कारण, यहाँ सर्दियों के मौसम में बहुत ठण्ड होती है। जबकि गर्मियों में यहाँ का वातावरण बहुत मधुर और सुहावना बना रहता है। सैलानी साल के किसी भी मौसम में देवप्रयाग के दर्शन करने जा सकते हैं।

देवप्रयाग - जहां दिव्य धाराएं बहती हैं

समुन्दरी तट से 2723 मीटर की ऊँचाई पर स्थित देवप्रयाग, उत्तराखण्ड के टिहरी गढवाल जिले का प्रमुख धार्मिक स्थान है। “अलकनंदा” और “भागीरथी” नदियों के संगम पर स्थित, इस शहर को संस्कृत में “पवित्र संगम” के नाम से संबोधित किया गया है। 7 वीं सदी में देवप्रयाग ब्रह्मपुरी, ब्रह्म तीर्थ और श्रीखण्ड नगर जैसे कई अलग अलग नामों से जाना जाता था। “उत्तराखण्ड के रत्न” के रूप में जाना जाता यह शहर प्रसिद्ध हिंदू संत देव शर्मा के नाम पर अंकित है।
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किंवदंती है कि, भगवान राम और उनके पिता, राजा दशरथ ने यहाँ घोर तपस्या की थी। यह भी कहा जाता है कि, हिंदू महाकाव्य महाभारत के पौराणिक पात्र पांडवों ने बद्रीनाथ जाने से पहले यहाँ प्रक्षालन किया था।

क्या है देवप्रयाग के आस पास

भारत के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग पाँचवें स्थान पर है। पवित्र नदियों के संगम के किनारे बसे इस देवप्रयाग के अलावा विष्णु प्रयाग, रुद्र प्रयाग, नंद प्रयाग और कर्ण प्रयाग भारत के अन्य चार प्रयाग हैं। साथ ही, देवप्रयाग अपने कई प्राचीन मंदिर जैसे रघुनाथ मंदिर, चंद्रवदनी मंदिर और दशरथशिला मंदिर के लिए भी जाना जाता है। अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर बने पुल, इसे एक प्रमुख स्थान बनाते हैं।

देवप्रयाग कैसे जाएं

देवप्रयाग के लिए राजमार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग की सेवा उपलब्ध है। देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देवप्रयाग का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जहाँ से नई दिल्ली के लिए नियमित उडानों की सेवा उपलब्ध है। देवप्रयाग से 94 कि.मी दूर हरिद्वार रेलवे स्टेशन, देवप्रयाग का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह कई प्रमुख शहर जैसे लखनऊ, मुंबई, नई दिल्ली और देहरादून से ट्रेनों द्वारा जुडा हुआ है।

देवप्रयाग का मौसम

देवप्रयाग का सब्ट्रापिकल वातावरण होने के कारण, यहाँ सर्दियों के मौसम में बहुत ठण्ड होती है। जबकि गर्मियों में यहाँ का वातावरण बहुत मधुर और सुहावना बना रहता है। सैलानी साल के किसी भी मौसम में देवप्रयाग के दर्शन करने जा सकते हैं।

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